मातृभूमि धर्म संघ और धर्म
मातृभूमि धर्म संघ के मुताबिक धर्म की परिभाषा में दया, करूणा, प्रेम, त्याग, संतोष, परोपकार, सत्य, न्याय, ईमानदारी, कर्तव्य परायणता आदि होते हैं। यह सब मनुष्य में ही होते हैं। जिसमें ये ज्यादा होते हैं वह पुरुष या महिला धार्मिक होती है। हिन्दुत्व इन्हीं धार्मिक मूल्यों का संवाहक है। यानी की उन्हें आगे बढ़ाने और समाज, दुनिया में स्थापित करने का माध्यम है। जिन लोगों में यह मूल्य ये कम होते हैं या कम होने लगते हैं वे अधर्मी और समाज एवं विश्व के लिए डर, भय, क्रोध, लालच, व्याभिचार आदि का निर्माण करते हैं। ऐसे लोगों को धर्म और सदाचार का रास्ता दिखाना भी मातृभूमि धर्म संघ के मूल कार्यों में से एक होगा।
मातृभूमि धर्म संघ एवं अन्य धर्म
मातृभूमि धर्म संघ का मानना है दूसरे धर्म क्या कर रहे हैं इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। वे अच्छा कर रहे हैं या बुरा यह उनके ऊपर हैं।
मातृभूमि धर्म संघ का साफ मानना है कि हमें सिर्फ अपना सनातन धर्म, हिन्दुत्व परंपरा, विचारधारा और संस्कृति को मजबूत करना है। उसे इतना पवित्र, करूणामय, परोपकारी और शरीर एवं मन से इतना शक्तिशाली बना देना है कि दूसरे धर्म के लोग हमारे सनातन धर्म और हिन्दुत्व से सीख सकें।
मातृभूमि धर्म संघ और राजनीति
आज के दौर में सत्ता का केन्द्र राजनीति है। उसके हाथ में सारी ताकत है। समाज में धर्म एवं हिन्दुत्व की पुन:स्थापना के लिए राजनीतिक शक्ति का होना बहुत जरूरी है। मातृभूमि धर्म संघ जल्द ही इस दिशा में कदम उठाते हुए राजनीति संगठन लाएगा। जिसका प्रादुर्भाव राजस्थान से होगा और बाद में पूरे देश में उसका विस्तार किया जाएगा। अन्य संगठनों की तरह राजनीतिक संगठन भी मातृभूमि धर्म संघ की एक इकाई होगी। मातृभूमि धर्म संघ का हिन्दु संस्कृति, धर्म पुन: स्थापना और समाज उत्थान का कार्य अनवरत चलता रहेगा। इसका राजनीति या राजनीतिक संगठन से कोई लेना देना नहीं होगा।