मातृभूमि धर्म संघ के सामने दो चुनौतियां
कई वर्षों तक मनन और तपस्या के बाद मातृभूमि धर्म संघ के संस्थापक अध्यक्ष राव कुंवर गगन सिंह जी राव को ज्ञान हुआ भारतीय समाज और राष्ट्र में के पिछड़े बने रहने और धर्म का हास होने के दो प्रमुख कारण हैं।
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राजनीतिक
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धार्मिक अर्थात सामाजिक
राजनीतिक
राजनीतिक का यहां तात्पर्य है सत्ता और शासन से। साधारण शब्दों में कहें तो सरकार से। सरकार में राजनेता और प्रशासन (पुलिस, कोर्ट, तहसीलदार, पटवारी आदि) दोनों आते हैं। इन दोनों को गठजोड़ ही सत्ता का, ताकत का शासन बनता है और आम-जनता पर राज करता है।
सनातन काल से यह चला आ रहा है। पहले यह कार्य राजा-महाराजा करते थे। अब लोकतंत्र के द्वारा हो रहा है। लोकतंत्र का यह फायदा है कि इसमें आम-जनता सत्ता में भागीदारी करती है। जनता को लगता है कि शासक सही नहीं है। अधर्मी है तो वह बदल देती है। लेकिन यहां समस्या यही आ गई है कि शासक यानि की पार्टी बदलने बाद भी उसे न्याय नहीं मिल पाता क्योंकि अगला शासक या पार्टी भी पहले जैसी ही होती है। आम-जनता की कोई नहीं सुनता। जनता के सामने एक तरफ कुआँ तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति बनी रहती है। या यूँ कह लीजिए एक नागनाथ तो दूसरा सांपनाथ नजर आता है। इसलिए थक हार कर जनता ने अपने-आपको भगवान भरोसे छोड़ दिया है। उसे कोई विकल्प नजर नहीं आता है। ऐसा कोई राजनीतिक दल नजर नहीं आता है जिसपर वह भरोसा कर सके। यह मान सके कि यह राजनीतिक दल उसकी हर जरूरतों की पूर्ति करते हुए उसे सम्मानजनक जीवन जीने का वातावरण देगा। माहौल देगा। उसे और उसके परिवार को आर्थिक और शारीरिक सुरक्षा देगा।
शोषण, अन्याय, भ्रष्टाचार आदि का दूसरा प्रमुख कारण है।
धार्मिक अर्थात सामाजिक
अक्सर धर्म को आज के दौर में हिन्दू, मुस्लिम से जोड़ दिया जाता है। पहले मध्य-पूर्व और बाद में पश्चिमी देशों ने यह सब किया है। हमारे देश भारत में सदाचार, ईमानदारी, परोपकार से जीवन जीने को ही धर्म कहा गया है। इसका उल्लेख ऊपर भी किया गया है। मूल्यों में और व्यक्ति के चरित्र में जब कमी आती है तो इसका सीधा असर समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। जब व्यक्ति में मर्यादा और मूल्यों का पतन होता है तो उसका परिवार, पड़ोस और बाद में पूरा समाज रसातल में चला जाता है। आजकल आपके चारों ओर यही दिखाई दे रहा है।
बड़ों- छोटों की कोई शर्म नहीं रह गई है। बच्चियों और महिलाओं के साथ क्या हो रहा है यहां बताने की जरूरत नहीं है। लालच के लिए भाई-भाई का दुश्मन हो चला है। पड़ोसी और मोहल्ले में भाईचारे की बात तो छोड़ ही दीजिए। जब आपके आस-पास मर्यादाहीन और असुरक्षित स्थिति हो आप और हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि समाज अच्छा होगा और इस तंत्र को चलाने वाले नेता अच्छे होंगे। जब पूरे कुए में ही भांग घुली हुई हो तो दूसरों से तो क्या आप अपने बच्चों से भी उम्मीद नहीं कर सकते। यह बात आप अपने दिल पर हाथ रखकर भी महसूस कर सकते हैं। जब समाज की यह स्थिति हो ता आप एक मजबूत राष्ट्र की आशा नहीं लगा सकते।
इसीलिए कहते हैं कि आपके मजबूत चरित्र और सद आचरण से मजबूत समाज और सशक्त राष्ट्र बनता है।
मातृभूमि धर्म संघ की चुनौतियों का हल
राजनीतिक
राजनीतिक समस्या का निराकरण राजनीति से ही हो सकता है। इसके लिए मातृभूमि धर्म संघ जल्द ही एक राजनीतिक संगठन लाएगी। इस दिशा में मातृभूमि धर्म संघ ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। क्योंकि लोकतंत्र में ताकत सत्ता में ही केन्द्रीत होती है। हमारे हाथ में आम-जनता द्वारा सौंपी गई सत्ता हाथ में होगी तो हम कतार में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति की पूरी मदद कर पाएंगे।
धार्मिक अर्थात सामाजिक
धार्मिक अर्थात सामाजिक चुनौती का हल हमारे खुद के पास है। आप सच्चे हो जायें तो सब अच्छा हो जाएगा। आप चरित्रवान बन जायें तो समाज चरित्रवान बन जाएगा। सामाजिक बदलाव की शुरुआत दूसरों से नहीं खुद से ही करनी है। फिर परिवार से। पड़ोस से। मोहल्ले से। गांव से। कस्बे से। शहर से। जिले से। राज्य से। राष्ट्र से। यह अनवरत कड़ी है। इसके शुरूआती और आखिरी छोर पर आप ही खड़े हैं। आप सही तो पूरी कड़ी। पूरी कतार सही हो जाएगी।
यहां यह बात ध्यान रखने योग्य होगी कि हमारे देश की मिट्टी में रहने वाला हर आदमी और औरत। बच्चा। बूढ़ा। सब दिल के अच्छे हैं। परोपकारी हैं। एक-दूसरे की मदद करना चाहते हैं। लेकिन मौजूदा व्यवस्था और ताना-बाना उसे ऐसा करने से रोक देते हैं। वह चाहकर भी दूसरों की मदद नहीं कर पाता।
इसी भ्रष्ट तंत्र की वजह से वह इतना स्वार्थी हो चला है कि अपने फायदे के लिए वह दूसरे का नुकसान करने से पहले थोड़ा भी नहीं हिचकता है। लेकिन हम सबके बीच उम्मीद की किरण यही है कि सब मन के अच्छे हैं। आप बस उनके लिए सही व्यवस्था व सामाजिक ताना-बाना बुन दीजिए। फिर देखिए। आपको आपके जीवन में ही राम-राज्य देखने को मिल जाएगा।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पूर्ति के लिए कुंवर राव गगन सिंह जी ने सन 2020 में मातृभूमि धर्म संघ का गठन किया। यह सेना मेवाड़, राजस्थान ही नहीं देश और दुनिया में राम-राज्य सरीखे सामाजिक बदलाव के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।